गुरुवार 18 दिसंबर 2025 - 13:12
आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपायगानी र.ह. हमेशा दर्स और तहक़ीक को प्राथमिकता देते थे

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन डॉ. नासिर रफ़ीई ने कहा,विभिन्न वर्षों में विशेष रूप से दिफ़ा-ए-मुक़द्दस के दौर और देश के संवेदनशील चरणों में आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपायगानी (रह.) हमेशा विलायत-ए-फ़क़ीह के मज़बूत समर्थक रहे रहबर-ए-मोअज़्ज़म के नाम उनका एक महान और ऐतिहासिक जुमला था मैं आपकी तज़ईफ़ को हराम समझता हूँ।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन नासिर रफ़ीई ने मस्जिद-ए-आज़म क़ुम में आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपायगानी (रह.) की 23वीं बरसी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उलेमा और बुद्धिजीवियों के उच्च स्थान की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा, मासूमीन (अ.स.) से वर्णित अनेक रिवायतों में आलिम और दानिशमंद के दर्जे के बारे में अत्यंत ऊँचे शब्द आए हैं, जो हद-ए-तवातुर तक पहुँचते हैं।

उन्होंने आगे कहा, इन वर्णनों में अमीनुल्लाह फ़िल-अर्ज़”ज़ीनतुल्लाह फ़ी अर्ज़िहि”, “वकीलुल्लाह”, “वरसतुल अंबिया”, “मफ़ातिहुल जन्ना” और “सलातीन-ए-यौमुल क़ियामा” जैसे शीर्षक शामिल हैं। जिस प्रकार दुनिया में राजा और शासक समाजों का नेतृत्व करते हैं, उसी प्रकार क़ियामत के दिन उलेमा लोगों के नेता और बुज़ुर्ग होंगे। कुछ रिवायतों में उलेमा को आसमान के सितारों से उपमा दी गई है, जो मार्गदर्शन का स्रोत होते हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रफ़ीई ने प्रसिद्ध कथन अल-उलेमा वरसतुल अंबिया” की ओर संकेत करते हुए कहा,मरहूम आयतुल्लाहिल-उज़्मा गुलपायगानी (रह.) ने इस कथन की अत्यंत सूक्ष्म और ध्यान देने योग्य व्याख्या प्रस्तुत की है, जो विशेष ध्यान की पात्र है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपायगानी र.ह. हमेशा दर्स और तहक़ीक को प्राथमिकता देते थे

उन्होंने कहा,मरहूम आयतुल्लाह साबरी हमदानी ने आयतुल्लाह अल-उज़्मा गुलपायगानी (रह.) के विलायत-ए-फ़क़ीह के दर्स की तक़रीरों को संकलित किया, जो अलहिदायह इला मन लहुल विलायह” शीर्षक से प्रकाशित हुईं। इस संग्रह में विलायत-ए-फ़क़ीह के विषय को पंद्रह दलीलों और रिवायतों के आधार पर विस्तार से परखा गया है। यह मूल्यवान कृति उनके दर्सी बहसों की तक़रीरों पर आधारित है और इसका अनुवाद भी रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी हो सकता है।

हौज़ा ए इल्मिया के इस उस्ताद ने कहा, आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपायगानी (रह.) की वैज्ञानिक और नैतिक विशेषताएँ जिनमें ज्ञानार्जन में दृढ़ता और शिष्य-निर्माण पर विशेष ध्यान शामिल है दीन से जुड़े हर व्यक्ति के लिए एक अनमोल आदर्श हैं। उन्होंने व्यवहार में दुनिया को दिखाया कि बीमारी और कमज़ोरी भी वैज्ञानिक संघर्ष में बाधा नहीं बननी चाहिए, और दर्स व शोध को हमेशा प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha